Bichure Syam Bahut Dukh Payo

बिछोह बिछुरे स्याम बहुत दुख पायौ दिन-दिन पीर होति अति गाढ़ी, पल-पल बरष बिहायौ व्याकुल भई सकल ब्रज-वनिता, नैक संदेस न पायो ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हरे मिलन कौ, नैनन अति झर लायौ

Main Apani Sab Gai Chare Ho

गौ चारण लीला मैं अपनी सब गाइ चरैहौं प्रात होत बल के संग जैहौं, तेरे कहे न रैहौं ग्वाल-बाल गाइनि के भीतर, नेकहु डर नहिं लागत आजु न सोवौं, नंद-दुहाई, रैनि रहौंगो जागत और ग्वाल सब गाइ चरैहैं, मैं घर बैठौ रैहौं ‘सूर’ श्याम, तुम सोइ रहो अब, प्रात जान मैं दैहौं

Mohan Lalpalne Jhule Jasumati Mat Jhulave Ho

झूला मोहनलाल पालने झूलैं, जसुमति मात झुलावे हो निरिख निरखि मुख कमल नैन को, बाल चरित जस गावे हो कबहुँक सुरँग खिलौना ले ले, नाना भाँति खिलाये हो चुटकी दे दे लाड़ लड़ावै, अरु करताल बजाये हो पुत्र सनेह चुचात पयोधर, आनँद उर न समाये हो चिरजीवौ सुत नंद महर को, ‘सूरदास’ हर्षाये हो

Likhi Nahi Pathwat Hain Dwe Bol

विरह व्यथा लिखि नहिं पठवत हैं, द्वै बोल द्वै कौड़ी के कागद मसि कौ, लागत है बहु मोल हम इहि पार, स्याम परले तट, बीच विरह कौ जोर ‘सूरदास’ प्रभु हमरे मिलन कौं, हिरदै कियौ कठोर

Sun Ri Sakhi Bat Ek Mori

ठिठोली सुन री सखी, बात एक मेरी तोसौं धरौं दुराई, कहौं केहि, तू जानै सब चित की मेरी मैं गोरस लै जाति अकेली, काल्हि कान्ह बहियाँ गही मेरी हार सहित अंचल गहि गाढ़े, इक कर गही मटुकिया मेरी तब मैं कह्यौ खीझि हरि छोड़ौ, टूटेगी मोतिन लर मेरी ‘सूर’ स्याम ऐसे मोहि रीझयौ, कहा कहति […]

Hari Dekhe Binu Kal Na Pare

विरह व्यथा हरि देखे बिनु कल न परै जा दिन तैं वे दृष्टि परे हैं, क्यों हूँ चित उन तै न टरै नव कुमार मनमोहन ललना, प्रान जिवन-धन क्यौं बिसरै सूर गोपाल सनेह न छाँड़ै, देह ध्यान सखि कौन करै

Ab To Pragat Bhai Jag Jani

प्रेमानुभूति अब तो पगट भई जग जानी वा मोहन सों प्रीति निरंतर, क्यों निबहेगी छानी कहा करौं वह सुंदर मूरति, नयननि माँझि समानी निकसत नाहिं बहुत पचिहारी, रोम-रोम उरझानी अब कैसे निर्वारि जाति है, मिल्यो दूध ज्यौं पानी ‘सूरदास’ प्रभु अंतरजामी, उर अंतर की जानी

Kahan Lage Mohan Maiya Maiya

कहन-लागे-मोहन मैया मैया नंद महर सौ बाबा-बाबा, अरु हलधर सौं भैया ऊँचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा, लै लै नाम कन्हैया दूर खेलन जिनि जाहु लला रे, मारेगी कोउ गैया गोपी-ग्वाल करत कौतूहल, घर घर बजति बधैया ‘सूरदास’ प्रभु तुम्हे दरस कौ, चरननि की बलि जैया

Gwalin Tab Dekhe Nand Nandan

गोपियों का प्रेम ग्वालिन तब देखे नँद-नंदन मोर मुकुट पीताम्बर काचे, खौरि किये तनु चन्दन तब यह कह्यो कहाँ अब जैहौं, आगे कुँवर कन्हाई यह सुनि मन आनन्द बढ़ायो, मुख कहैं बात डराई कोउ कोउ कहति चलौ री जाई, कोउ कहै फिरि घर जाई कोउ कहति कहा करिहै हरि, इनकौ कहा पराई कोउ कोउ कहति […]

Ja Din Man Panchi Udi Jehain

देह का गर्व जा दिन मन पंछी उड़ि जैहैं ता दिन तेरे तन तरुवर के, सबै पात झरि जैहैं या देही की गरब न करियै, स्यार, काग, गिध खैहैं ‘सूरदास’ भगवंत भजन बिनु, वृथा सु जनम गँवैंहैं