Braj Me Hari Hori Machai

होली ब्रज में होरी मचाई इत ते आई कुँवरि राधिका, उतते कुँवर कन्हाई गोपिन लाज त्यागि रंग खेलत, शोभा बरनि न जाई, नंद-घर बजत बधाई बाजत ताल मृदंग बाँसुरी, बीना डफ शहनाई उड़त अबीर, गुलाल, कुंकुमा, रह्यो चहुँ दिसि छाई, मानो मघवा झड़ी लगाई भरि-भरि रंग कनक पिचकारी, सन्मुख सबै चलाई छिरकत रंग अंग सब […]

Maiya Gai Charawan Jehon

गौ-चारण मैया ! गाइ चरावन जैहौ तू कहि महर नंदबाबा सौं, बड़ौ भयौ न डरैहौं रैता, पैता, मना, मनसुखा, हलधर संगहि रैहौं बंसीबट पर ग्वालिन कै संग, खेलत अति सुख पैहौं मैया, भोजन दै दधि काँवरि, भूख लगे तैं खैहौं ‘सूरदास’ है साखि जमुन-जल, सौंह देहु जु नहैहौं

Ye Din Rusibe Ke Nahi

दर्शन की प्यास ये दिन रूसिबै के नाहीं कारी घटा पवन झकझोरै, लता तरुन लपटाहीं दादुर, मोर, चकोर, मधुप, पिक, बोलत अमृत बानी ‘सूरदास’ प्रभु तुमरे दरस बिन, बैरिन रितु नियरानी

Shyam Kahat Puja Giri Mani

अन्नकूट श्याम कहत पूजा गिरि मानी जो तुम भाव-भक्ति सों अरप्यो, देवराज सब जानी तुम देखत भोजन सब कीनो, अब तुम मोहि प्रत्याने बड़ो देव गिरिराज गोवर्धन, इनहि रहो तुम माने सेवा भली करी तुम मेरी, देव कही यह बानी ‘सूर’ नंद मुख चुंबत हरि को, यह पूजा तुम ठानी

Shyam Bina Unaye Ye Badara

विरह व्यथा स्याम बिना उनये ये बदरा आज श्याम सपने में देखे, भरि आए नैन ढुरक गयो कजरा चंचल चपल अतिही चित-चोरा, निसि जागत मैका भयो पगोरा ‘सूरदास’ प्रभु कबहि मिलोगे, तजि गये गोकुल मिटि गयो झगरा

Ho Ik Nai Bat Suni Aai

श्री राधा प्राकट्य हौं इक नई बात सुनि आई कीरति रानी कुँवरी जाई, घर-घर बजत बधाई द्वारे भीर गोप-गोपिन की, महिमा बरनि न जाई अति आनंद होत बरसाने, रतन-भूमि निधि छाई नाचत तरुन वृद्ध अरु बालक, गोरस-कीच मचाई ‘सूरदास’ स्वामिनि सुखदायिनि, मोहन-सुख हित आई

Aaj Jo Harihi N Shastra Gahau

भीष्म प्रतिज्ञा आज जो हरिहिं न शस्त्र गहाऊँ तौं लाजौं गंगा-जननी को, सांतनु-सुत न कहाऊँ स्यंदन खंडि महारथ खंडौं, कपिध्वज सहित डुलाऊँ इती न करो सपथ मोहिं हरि की, क्षत्रिय-गतिहि न पाऊँ पांडव-दल सन्मुख हौं धाऊँ, सरिता रुधिर बहाऊँ ‘सूरदास’ रण-भूमि विजय बिनु, जियत न पीठ दिखाऊँ

Kahiyo Syam So Samjhai

श्याम की याद कहियौ स्याम सौ समझाइ वह नातौ नहि मानत मोहन, मनौ तुम्हारी धाइ बारहिं बार एकलौ लागी, गहे पथिक के पाँइ ‘सूरदास’ या जननी को जिय, राखै बदन दिखाइ

Chadi Man Hari Vimukhan Ko Sang

प्रबोधन छाड़ि मन, हरि-विमुखन को संग जिनके संग कुमति उपजत है, परत भजन में भंग कहा होत पय-पान कराए, विष नहिं तजत भुजंग कागहिं कहा कपूर चुगाए, स्वान न्हवाए गंग खर कौं कहा अरगजा-लेपन मरकट भूषन अंग गज कौं कहा सरित अन्हवाए, बधुरि धरै वह ढंग पाहन पतित बान नहिं बेधत, रीतो करत निषंग ‘सूरदास’ […]

Jo Tu Krishna Nam Dhan Dharto

नाम महिमा जो तूँ कृष्ण नाम धन धरतो अब को जनम आगिलो तेरो, दोऊ जनम सुधरतो जन को त्रास सबै मिटि जातो, भगत नाँउ तेरो परतो ‘सूरदास’ बैकुण्ठ लोक में, कोई न फेंट पकरतो