Dhani Dhani Vrindawan Var Dham
श्री वृन्दावन धाम धनि धनि वृन्दावन वर धाम भौतिकता तो नहीं जरा भी, जग प्रपंच को नहिं कछु काम श्यामा श्याम केलि थल अनुपम, नित नूतन क्रीड़ा अभिराम लाड़ लड़ावति लली लालकूँ, राग भोग तजि और न काम पालन सृजन प्रलय देवन को, काम करें अज हरि हर नाम नित्य किशोर किशोरी संग में, रचै […]
Dhuri Dhusrit Nil Kutil Kach Kare Kare
अन्तर्धान लीला धुरि धूसरित नील कुटिल कच, कारे कारे मुखपै बिथुरे मधुर लगें, मनकूँ अति प्यारे झोटा खात बुलाक, मोर को मुकुट मनोहर ऐसो वेष बनाइ जाउ जब, बन तुम गिरिधर तब पल-पल युग-युग सरिस, बीतत बिनु देखे तुम्हें अब निशिमहँ बन छाँड़ि तुम, छिपे छबीले छलि हमें
Nand Ghar Aaj Bhayo Anand
श्री कृष्ण प्राकट्य नन्द घर आज भयो आनन्द मातु यशोदा लाला जायो, ज्यों पूनों ने चन्द गोपी गोप गाय गायक-गन, सब हिय सरसिज वृन्द नन्दनँदन रवि उदित भये हिय, विकसे पंकज वृन्द वसुधा मुदित समीर बहत वर, शीतल मन्द सुगन्ध गरजत मन्द मन्द घन नभ महँ, प्रकटे आनँद कन्द माया बन्धु सिन्धु सब सुख के, […]
Nath Tav Charan Sharan Main Aayo
शरणागति नाथ तव चरण शरन में आयो अब तक भटक्यो भव सागर में, माया मोह भुलायो कर्म फलनि की भोगत भोगत, कईं योनिनि भटकायो पेट भयो कूकर सूकर सम, प्रभु-पद मन न लगायो भई न शान्ति, न हिय सुख पायो, जीवन व्यर्थ गँवायो ‘प्रभु’ परमेश्वर पतति उधारन, शरनागत अपनायो