Nek Thaharija Shyam Bat Ek Suni Ja Mori
राधा के श्याम नेंक ठहरि जा श्याम! बात एक सुनि जा मेरी दौर्यो जावै कहाँ, दीठि चंचल अति तोरी ब्रज में मच्यो चवाउ, बात फैली घर-घर में कीरति रानी लली धँसी है, तेरे उर में निज नयननि निरख्यो न कछु, सुन्यो सुनायो ही कह्यो गोरी भोरी छोहरी, को चेरो तू बनि गयो
Param Dham Saket Ayodhya
श्री अयोध्या धाम परम धाम साकेत अयोध्या, सुख सरसावनि हरन सकल सन्ताप, जगत के दुःख नसावनि सरयू को शुभ नीर, पीर सबई हरि लेवै हियकूँ शीतल करै अन्त में, प्रभु पद देवै करें धाम मँह बास जे, ते निश्चत तरि जायँगे कामी सब अघ मेंटि कें, धाम प्रभाव दिखायँगे
Aao Aao Shyam Hraday Ki Tapan Bujhao
हृदय की तपन आओ आओ श्याम, हृदय की तपन बुझाओ चरण कमल हिय धरो, शोक संताप नसाओ यों कहि रोई फूटि-फूटि के, गोपी सस्वर रहि न सके तब श्याम भये, प्रकटित तहँ सत्वर मदन मनोहर वेष तैं, मनमथ के मनकूँ करत प्रकटे प्रभु तिन मध्य में, शोक मोह हियको हरत
Bin Kaju Aaj Maharaj Laj Gai Meri
द्रोपदी का विलाप बिन काज आज महाराज लाज गई मेरी दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी दुःशासन वंश कठोर, महा दुखदाई खैंचत वह मेरो चीर लाज नहिं आई अब भयो धर्म को नास, पाप रह्यो छाई यह देख सभा की ओर नारि बिलखाई शकुनि दुर्योधन, कर्ण खड़े खल घेरी दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी […]
Aur Ansha Avtar Krishna Bhagwan Swayam Hai
परब्रह्म श्री कृष्ण और अंश अवतार कृष्ण भगवान स्वयम् हैं वे मानुस बनि गये, यशोदा नन्द-नँदन हैं सकल भुवन के ईश एक, आश्रय वनवारी मोर मुकुट सिर धारि अधर, मुरली अति प्यारी रस सरबस श्रृंगार के, साक्षात् श्रृंगार हैं जो विभु हैं, आनन्दघन, उन प्रभु की हम शरन हैं
Yashoda Kaiso Lala Jayo
यशोदा के लाल यशोदा कैसो लाला जायो कोई कहे कुसुम अलसी सम, अन्जन अपर बतायो कोई दुर्वा-वन सम शोभा, उत्पल द्युति कहि गायो कोई कहे जनम नहिं याको, छिपि मधुबन तें आयो कोई कहे ब्रह्मा को बाबा, वेदहु भेद न पायो कैसो कहे कहत सकुचावत, नहिं हम दरशन पायो गोविन्द गोकुल कुँवर गोपपति, गोपीश्वर कहलायो […]
Ek Aur Vah Kshir Nir Main Sukh Se Sowen
श्री राधाकृष्ण एक ओर वह क्षीर नीर में, सुख से सोवैं करि के शैया शेष लक्ष्मीजी, जिन पद जोवैं वे ही राधेश्याम युगल, विहरत कुंजनि में लोकपाल बनि तऊ चरावत, धेनु वननि में निज ऐश्वर्य भुलाय कें, करैं अटपटे काम है तेज पुंज उन कृष्ण को, बारम्बार प्रणाम है
Radha Ras Ki Khani Sarasta Sukh Ki Beli
श्री राधा राधा रस की खानि, सरसता सुख की बेली नन्दनँदन मुखचन्द्र चकोरी, नित्य नवेली नित नव नव रचि रास, रसिक हिय रस बरसावै केलि कला महँ कुशल, अलौकिक सुख सरसावै यह अवनी पावन बनी, राधा पद-रज परसि के जिह राज सुरगन इन्द्र अज, शिव सिर धारें हरषि के
Kachu Pat Pahinati Rahi
बंसी का जादू कछु पट पहिनति रही, कछुक आभूषण धारति कछु दर्पन महँ देखि माँग, सिन्दूर सम्हारति जो जो कारज करति रही, त्यागो सो तिनने चलीं बेनु सुनि काज अधुरे छोड़े उनने बरजी पति पितु बन्धु ने, रोकी बहुत पर नहीं रुकी कही बहुत पर ते नहीं, लोक लाज सम्मुख झुकी
Van Te Aawat Shri Giridhari
वन से वापसी वनतैं आवत श्रीगिरिधारी सबहिं श्रवन दै सुनहु सहेली, बजी बाँसुरी प्यारी धेनु खुरनि की धुरि उड़त नभ, कोलाहल अति भारी गावत गीत ग्वाल सब मिलिकें, नाचत बीच बिहारी मलिन मुखी हम निशि सम नारी, बिनु हरि सदा दुखारी कृष्णचन्द्र ब्रजचन्द्र खिलें नभ, तब हम चन्द्र उजारी मिटै ताप संताप तबहिं जब, दृष्टि […]