Bhai Duj Bal Mohan Dou

भाई दूज भाई दूज बल मोहन दोऊ, बहन सुभद्रा के घर आये विविध भाँति श्रृंगार कियो पट भूषण बहुत सुहाये अति प्रसन्न हो भोजन परसे, भाई के मन भाये तत्पश्चात् तिलक बीड़ा दे, बहन अधिक सुख पाये श्रीफल और मिठाई से भाई की गोद भराई ‘रामदास’ प्रभु तुम चिर-जीवौ, दे अशीष हरषाई 

Mrig Naini Ko Pran Naval Rasiya

रसिया मृगनैनी को प्रान नवल रसिया, मृगनैनी बड़ि-बड़ि अखिंयन कजरा सोहे, टेढ़ी चितवन मेरे मन बसिया अतलस को याकें लहेंगा सोहे, प्यारी झुमक मेरे मन बसिया छोटी अंगुरिन मुँदरी सोहे, बीच में आरसी मन बसिया बाँह बड़ो बाजूबन्द सोहे, हियरे में हार दीपत छतिया ‘पुरुषोत्तम’ प्रभु की छबि निरखत, सबै छोड़ ब्रज में बसिया रंग […]

Aab Jago Mohan Pyare

प्रभाती अब जागो मोहन प्यारे, तुम जागो नन्द दुलारे हुआ प्रभात कभी से लाला, धूप घरों पर छाई गोपीजन आतुरतापूर्वक, तुम्हें देखने आर्इं ग्वाल-बाल सब खड़े द्वार पर, कान्हा ली अँगड़ाई गोपीजन सब मुग्ध हो रहीं, निरखें लाल कन्हाई जसुमति मैया उठा लाल को, छाती से लिपटाये चन्द्रवदन को धुला तभी, माँ मक्खन उसे खिलाये 

Rasna Kyon Na Ram Ras Piti

राम रसपान रसना क्यों न राम रस पीती षट-रस भोजन पान करेगी, फिर रीती की रीती अजहूँ छोड़ कुबान आपनी, जो बीती सो बीती वा दिन की तू सुधि बिसराई, जा दिन बात कहीती जब यमराज द्वार आ अड़िहैं, खुलिहै तब करतूती ‘रूपकुँवरि’ मन मान सिखावन, भगवत् सन कर प्रीती 

Ab Man Krishna Krishna Kahi Lije

श्रीकृष्ण स्मरण अब मन कृष्ण कृष्ण कहि लीजे कृष्ण कृष्ण कहि कहिके जग में, साधु समागम कीजे कृष्ण नाम की माला लेके, कृष्ण नाम चित दीजे कृष्ण नाम अमृत रस रसना, तृषावंत हो पीजै कृष्ण नाम है सार जगत् में, कृष्ण हेतु तन छीजे ‘रूपकुँवरि’ धरि ध्यान कृष्ण को, कृष्ण कृष्ण कहि लीजे 

Latak Latak Chalat Chaal

मोहन माधुरी लटक-लटक चलत चाल, मोहन आवे रे भावे मन अधर मुरली, मधुर सुर बजावे रे श्रवण कुण्डल चपल चलन, मोर मुकुट चन्द्रकलन मन्द हँसन चित्त हरन, मोहनि मुरति राजे रे भृकुटि कुटिल लोल लोचन, अरुण अधर मधुर बैन मंथर गति अरु चारु चितवन, भाल पर बिराजे रे ‘लखनदास’ श्याम रूप, नख शिख शोभा अनूप […]

Aaj Sakhi Rath Baithe Nandlal

रथ-यात्रा आज सखी, रथ बैठे नंदलाल अति विचित्र पहिरे पट झीनो,उर सोहत वन-माल वामभाग वृषभानु-नंदिनी, पहिर कसूंभी सारी तैसोई घन उमड्यो चहुँ दिशि, गरजत है अति भारी सुन्दर रथ मणि-जटित मनोहर, अनुपम है सब साज चपल तुरंग चलत धरणी पे, रह्यो घोष सब गाज ताल पखावज बीन बाँसुरी, बाजत परम रसाल ‘गोविंददास’ प्रभु पे बरखत, […]

Vaishnav Jan To Tene Kahiye

वैष्णव जन (गुजराती) वैष्णव जन तो तेणे कहिए, जे पीर पराई जाणे रे परदुःखे उपकार करे तोये, मन अभिमान न आणे रे सकल लोक मा सहुने वंदे, निंदा करे न केणी रे वाच काज मन निश्चल राखे, धन धन जननी तेणी रे समदृष्टि ने, तृष्णा त्यागी, पर-स्त्री जेणे मात रे जिह्वा थकी असत्य न बोले, […]

Karahu Prabhu Bhavsagar Se Par

नाम-महिमा करहुँ प्रभु भवसागर से पार कृपा करहु तो पार होत हौं, नहिं बूड़ति मँझधार गहिरो अगम अथाह थाह नहिं, लीजै नाथ उबार हौं अति अधम अनेक जन्म की, तुम प्रभु अधम उधार ‘रूपकुँवरि’ बिन नाम श्याम के, नहिं जग में निस्तार 

Sharnagat Palak Param Prabho

प्रार्थना शरणागत पालक परम प्रभो, हमको एक आस तुम्हारी है तुम्हरे सम दूजा और नहीं, कोई दीनन को हितकारी है सुधि लेत सदा सब जीवों की, अतिशय करुणा उर धारी है प्रतिपाल करो बिन ही बदले, अस कौन पिता महतारी है बिसराय तुम्हें सुख चाहत जो, वह तो नादान अनारी है ‘परतापनारायण’ तो तुम्हरे, पद-पंकज […]