Shyam Binu Rahyo Na Jay
विरह व्यथा स्याम बिनु रह्यो न जाय खान पानमोहि फीको लागे, नैणा रहे मुरझाय बार बार मैं अरज करूँ छूँ, रैण गई दिन जाय ‘मीराँ’ कहे हरि तुम मिलिया बिन, तरस तरस तन जाय
Ghadi Ek Nahi Aavade
विरह व्यथा घड़ी एक नहीं आवड़े, तुम दरशन बिन मोय तुम हो मेरे प्राणजी, किस विधि जीना होय दिवस तो हाय बिता दियो रे, रैन जँवाई सोय जो मैं ऐसो जाणती रे, प्रीति किया दुख होय नगर ढिंढोरो पीटती रे, प्रीति न करियो कोय पंथ निहारूँ डगर बुहारूँ, ऊभी मारग जोय ‘मीराँ’ को प्रभु कब […]
Tera Koi Nahi Rokanhar
मग्न मीरा तेरा कोइ नहिं रोकनहार, मगन होय मीराँ चली लाज सरम कुल की मरजादा, सिर से दूर करी मानापमान दोऊ घर पटके, निकसी हूँ ज्ञान गली ऊँची अटरिया लाल किवड़िया, निरगुण सेज बिछी पचरंगी झालर सुभ सोहे, फूलन फूल कली बाजूबंद कठूला सोहे, माँग सिंदुर भरी पूजन थाल हाथ में लीन्हा, सोभा अधिक भली […]
Piya Bin Rahyo Na Jay
विरह व्यथा पिया बिन रह्यो न जाय तन-मन मेरो पिया पर वारूँ, बार-बार बलि जाय निस दिन जोऊँ बाट पिया की, कब रे मिलोगे आय ‘मीराँ’ को प्रभु आस तुम्हारी, लीज्यो कण्ठ लगाय
Manmohan Shyam Hamara
श्याम की पाती मनमोहन श्याम हमारा निर्मल नीरा जमुन को त्याग्यौ, जाय पियौ जल खारा आप तो जाय द्वारका छाए, हमें छाँड़ि माझ धारा लिखि लिखि पाती भेजुँ स्याम कूँ, बाँचौ प्रीतम प्यारा ‘मीराँ’ के प्रभु हरि अविनासी, जीवन प्राण आधारा
Mhane Chakar Rakho Ji
चाकर राखो म्हाने चाकर राखोजी, गिरधारी म्हाने चाकर राखोजी चाकर रहस्यूँ बाग लगास्यूँ, नित उठ दरसण पास्यूँ वृन्दावन की कुंज गलिन में, थारी लीला गास्यूँ चाकरी में दरसण पास्यूँ, सुमिरण पाऊँ खरची भाव भगति जागीरी पास्यूँ, तीनूँ बाताँ सरसी मोर मुकुट पीताम्बर सोहे, गल बैजन्ती माला वृन्दावन में धेनु चरावे, मोहन मुरली वाला हरे-हरे नित […]
Shyam Main To Thare Rang Rati
श्याम से प्रीति स्याम मैं तो थाँरे रँग राती औराँ के पिय परदेस बसत हैं, लिख लिख भेजे पाती मेरा पिया मेरे हिरदे बसत है, याद करूँ दिन राती भगवा चोला पहिर सखीरी, मैं झुरमट रमवा जाती झुरमुट मे मोहिं मोहन मिलिया, उण से नहिं सरमाती और सखी मद पी पी माती, बिन पिये मैं […]
Ghar Aavo Pritam Pyara
विरह व्यथा घर आओ प्रीतम प्यारा, अब आओ प्रीतम प्यारा है तुम बिन सब जग खारा, घर आओ प्रीतम प्यारा तन मन धन सब भेंट करूँ, व भजन करूँ मैं थारा तुम गुणवंत बड़े नटनागर, मोमें औगुण न्यारा मैं निगुणी कुछ गुण तो नाहीं, तुम में ही गुण सारा ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, […]
Tori Savari Surat Nandlala Ji
साँवरी सूरत तोरी साँवरी सुरत नन्दलालाजी जमुना के तीरे धेनु चरावत, काली कामली वालाजी मोर-मुकुट पीताम्बर शोभे, कुण्डल झलकत लालाजी ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, भक्तन के प्रति पालाजी
Piya Bin Suno Che Ji Mharo Des
विरह व्यथा पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस