Shri Radhe Rani De Daro Ni Bansuri Mori
बंसी राधे रानी दे डारो नी बाँसुरी मोरी जो बंशी में मोरे प्राण बसत है, सो बंशी गई चोरी काहे से गाऊँ प्यारी काहे से बजाऊँ, काहे से लाऊँ गैया घेरी मुखड़ा से गाओ कान्हा हाथ से बजाओ, लकुटी से लाओ गैया घेरी हा हा करत तेरी पइयाँ पड़त हूँ, तरस खाओ री प्यारी मोरी […]
Aeri Main To Darad Diwani
विरह व्यथा ऐरी मैं तो दरद दिवानी, मेरो दरद न जाने कोय घायल की गति घायल जाने, जो कोई घायल होय जोहरी की गति जोहरी जाने, जो कोई जोहरी होय सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस विध होय गगन मँडल पर सेज पिया की, किस विध मिलणा होय दरद की मारी बन-बन डोलूँ, वैद मिल्यो […]
Jo Tum Todo Piya Main Nahi Todu Re
अटूट प्रीति जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा ‘मीराँ’ […]
Naina Nipat Shyam Chabi Atke
श्याम की मोहिनी नैना निपट श्याम छबि अटके देखत रूप मदनमोहन को, पियत पीयूष न भटके टेढ़ी कटि टेढ़ी कर मुरली, टेढ़ी पाग लर लटके ‘मीराँ’ प्रभु के रूप लुभानी, गिरिधर नागर नट के
Bala Main Beragan Hungi
वैराग्य बाला, मैं वैरागण हूँगी जिन भेषाँ म्हारो साहिब रीझे, सो ही भेष धरूँगी सील संतोष धरूँ घट भीतर, समता पकड़ रहूँगी जाको नाम निरंजन कहिए, ताको ध्यान धरूँगी गुरु के ज्ञान रगूँ तन कपड़ा, मन-मुद्रा पैरूँगी प्रेम-प्रीत सूँ हरि-गुण गाऊँ, चरणन लिपट रहूँगी या तन की मैं करूँ कींगरी, रसना नाम रटूँगी ‘मीराँ’ के […]
Main To Giridhar Aage Nachungi
समर्पण मैं तो गिरिधर आगे नाचूँगी नाच नाच मैं पिय को रिझाऊँ, प्रेमी जन को जाचूँगी प्रेम प्रीति के बाँध घुँघरूँ, सुरति की कछनी काछूँगी लोक लाज कुल की मर्यादा, या मैं एक न राखूँगी पिया के चरणा जाय पडूँगी, ‘मीराँ’ हरि रँग राचूँगी
Shyam Milan Ro Ghano Umavo
मिलन की प्यास श्याम मिलणरो घणो उमावो, नित उठ जोऊँ बाट लगी लगन छूटँण की नाहीं, अब कुणसी है आँट बीत रह्या दिन तड़फत यूँ ही, पड़ी विरह की फाँस नैण दुखी दरसण कूँ तरसै, नाभि न बैठे साँस रात दिवस हिय दुःखी मेरो, कब हरि आवे पास ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, पूरवो […]
Karan Gati Tare Naahi Tare
कर्म-विपाक करम गति टारे नाहिं टरे सतवादी हरिचंद से राजा, नीच के नीर भरे पाँच पांडु अरु कुंती-द्रोपदी हाड़ हिमालै गरे जग्य कियो बलि लेण इंद्रासन, सो पाताल परे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, विष से अमृत करे
Josida Ne Laakh Badhai
श्याम घर आये जोसीड़ा ने लाख बधाई, अब घर आये स्याम आज अधिक आनंद भयो है, जीव लहे सुखधाम पाँच सखी मिलि पीव परसि कै, आनँद आठूँ ठाम बिसरि गयो दुख निरखि पिया कूँ, सफल मनोरथ काम ‘मीराँ’ के सुखसागर स्वामी, भवन गवन कियो राम
Pag Ghungaru Bandh Meera Nachi Re
समर्पण पग घुँघरू बाँध मीरा नाची रे मैं तो मेरे नारायण की, आपहिं हो गई दासी रे लोग कहे मीराँ भई बावरी, न्यात कहे कुलनासी रे विष को प्याला राणाजी भेज्यो, पीवत मीराँ हाँसी रे ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, हरि चरणाँ की दासी रे