Mere Ghar Aao Sundar Shyam
विरह व्यथा मेरे घर आवो सुन्दर श्याम तुम आया बिन सुख नहीं मेरे, पीरी परी जैसे पान मेरे आसा और न स्वामी, एक तिहारो ही ध्यान ‘मीराँ’ के प्रभु वेग मिलो अब, राखोजी मेरो मान
Rana Ji Ruthe To Mharo Kai Karsi
गोविंद का गान राणाजी रूठे तो म्हारो काई करसी, मैं तो गोविन्द का गुण गास्याँ राणाजी भले ही वाँको देश रखासी, मैं तो हरि रूठ्याँ कठे जास्याँ लोक लाज की काँण न राखाँ मैं तो हरि-कीर्तन करास्याँ हरि-मंदिर में निरत करस्याँ, मैं तो घुँघरिया घमकास्याँ चरणामृत को नेम हमारो, मैं तो नित उठ दरसण जास्याँ […]
Ho Ji Hari Kit Gaye Neha Lagay
विरह व्यथा हो जी हरि!कित गए नेहा लगाय नेह लगाय मेरो मन हर लियो, रस-भरी टेर सुनाय मेरे मन में ऐसी आवै, प्राण तजूँ विष खाय छाँड़ि गए बिसवासघात करि, नेह की नाव चढ़ाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, रहे मधुपुरी छाय
Ab To Hari Nam Lo Lagi
चैतन्य महाप्रभु अब तो हरी नाम लौ लागी सब जग को यह माखन चोरा, नाम धर्यो बैरागी कित छोड़ी वह मोहक मुरली, कित छोड़ी सब गोपी मूँड मुँडाई डोरी कटि बाँधी, माथे मोहन टोपी मात जसोमति माखन कारन, बाँधे जाके पाँव श्याम किसोर भयो नव गौरा, चैतन्य जाको नाँव पीताम्बर को भाव दिखावे, कटि कोपीन […]
Jogiya Kab Re Miloge Aai
मिलने की आतुरता जोगिया, कब रे मिलोगे आई तेरे कारण जोग लियो है, घर-घर अलख जगाई दिवस न भूख, रैन नहिं निंदियाँ, तुम बिन कछु न सुहाई ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, मिल कर तपन बुझाई
Nahi Aiso Janam Barambar
नश्वर जीवन नहीं ऐसो जनम बारम्बार क्या जानूँ कछु पुण्य प्रगटे, मानुसा अवतार बढ़त पल पल घटत छिन-छिन, जात न लागे वार बिरछ के ज्यों पात टूटैं, लगे नहीं पुनि डार भौसागर अति जोर कहिये, विषय ऊँडी धार राम नाम का बाँध बेड़ा, उतर परले पार साधु संत महन्त ज्ञानी, चालत करत पुकार दासी मीराँ […]
Baso Mere Nainan Me Nandlal
मोहिनी मूर्ति बसो मोरे नैनन में नंदलाल मोहनी मूरति, साँवरी सूरति, नैणा बने बिसाल अधर सुधारस मुरली राजत, उर बैजंती माल छुद्र घंटिका कटि तट सोभित, नूपुर सबद रसाल ‘मीराँ’ प्रभु संतन सुखदाई, भगत-बछल गोपाल
Mero Man Ram Hi Ram Rate Re
नाम की महिमा मेरो मन रामहि राम रटै रे राम नाम जप लीजै प्राणी, कोटिक पाप कटे रे जनम जनम के लेख पुराने, नामहि लेत फटे रे कनक कटोरे अमृत भरियो, पीवत कौन नटे रे ‘मीराँ’ कहे प्रभु हरि अविनासी, तन-मन ताहि पटे रे
Ram Nam Ras Pije Manua
श्याम का रंग राम-नाम रस पीजै, मनुआ! राम-नाम रस पीजै ताज कुसंग, सत्संग बैठ नित, हरि-चर्चा सुन लीजै काम, क्रोध, मद लोभ, मोह कूँ बहा चित्त से दीजै ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, ताहि के रंग में भीजै
Aao Manmohan Ji Jou Thari Baat
प्रतीक्षा आओ मनमोहनाजी, जोऊँ थारी बाट खान-पान मोहि नेक न भावै, नयनन लगे कपाट तुम देख्या बिन कल न पड़त है हिय में बहुत उचाट मीराँ कहे मैं भई रावरी, छाँड़ो नहीं निराट