Chalan Vahi Des Pritam Chalan Vahi Des
प्रीतम के देश चालाँ वाही देस प्रीतम, चालाँ वाही देस कहो कसूमल साड़ी रँगावाँ, कहो तो भगवाँ भेस कहो तो मोतियाँ माँग भरावाँ, कहो बिखरावाँ केस ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, सुण लो बिरद नरेस
Daras Bina Dukhan Lage Nain
विरह व्यथा दरस बिन दूखँण लागै नैन जब से तुम बिछुड़े मेरे प्रभुजी, कबहुँ न पायो चैन सबद सुनत मेरी छतियाँ काँपें, कड़वे लागै बैन विरह कथा कासूँ कहुँ सजनी, बह गई करवत ऐन कल न परत, हरि को मग जोवत, भई छमासी रैन ‘मीरा’ के प्रभु कबरे मिलोगे, दुख मेटण सुख दैन
Prabhu Ji The To Chala Gaya Mhara Se Prit Lagay
पविरह व्यथा प्रभुजी थें तो चला गया, म्हारा से प्रीत लगाय छोड़ गया बिस्वास हिय में, प्रेम की बाती जलाय विरह जलधि में छोड़ गया थें, नेह की नाव चलाय ‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तुम बिन रह्यो न जाय
Meera Lago Rang Hari
हरि से प्रीति ‘मीराँ’ लागो रंग हरी, और न रँग की अटक परी चूड़ो म्हाँरे तिलक अरु माला, सील बरत सिणगारो और सिंगार म्हाँरे दाय न आवे, यो गुरू ज्ञान हमारो कोई निंदो कोई बिंदो म्हे तो, गुण गोबिंद का गास्याँ जिण मारग म्हाँरा साध पधारौ, उण मारग म्हे जास्याँ चोरी न करस्याँ, जिव न […]
Mhare Janam Maran Ra Sathi
म्हारा साथी म्हारे जनम-मरण रा साथी, थाँने नहिं बिसरूँ दिन राती थाँ देख्याँ बिन कल न पड़त है, जाणत मोरी छाती ऊँची चढ़-चढ़ पंथ निहारूँ, रोय-रोय अँखिया राती यो संसार सकल जग झूँठो, झूँठा कुल रा न्याती दोउ कर जोड्याँ अरज करूँ छू, सुणल्यो म्हारी बाती यो मन मेरो बड़ो हरामी, ज्यूँ मदमातो हाथी सत्गुरू […]
Suni Main Hari Aawan Ki
प्रतीक्षा सुनी मैं हरि आवन की अवाज महल चढ़ि चढ़ि देखूँ मोरी सजनी, कब आवे महाराज दादुर मोर पपीहा बोलै, कोयल मधुरे साज उमग्यो बदरा चहुँ दिस बरसे, दामिनि छोड़ी लाज धरती रूप नवा नवा धरिया, इंद्र मिलन के काज ‘मीराँ’ के प्रभु गिरिधर नागर, बेग मिलो महाराज
Chod Mat Jajo Ji Maharaj
म्हारी लाज छोड़ मत जाजो जी महाराज मैं अबला बल नाहिं गुसाईं, तुम मेरे सिरताज मैं गुणहीन गुण नाहिं गुसाईं, तुम समरथ महाराज थाँरी होय के किणरे जाऊँ, तुम हिवड़ा रा साज मीराँ के प्रभु और न कोई, राखो म्हारी लाज
Daras Mhane Bega Dijyo Ji
विरह व्यथा दरस म्हाने बेगा दीज्यो जी, खबर म्हारी बेगी लीज्यो जी आप बिना मोहे कल न पड़त है, म्हारा में गुण एक नहीं है जी तड़पत हूँ दिन रात प्रभुजी, सगला दोष भुला दिज्यो जी भगत-बछल थारों बिरद कहावे, श्याम मोपे किरपा करज्यो जी मीराँ के प्रभु गिरिधर नागर, आज म्हारी लाज राखिज्यो जी
Fagun Ke Din Char Re Hori Khel Mana Re
आध्यात्मिक होली फागुन के दिन चार रे, होरी खेल मना रे बिन करताल पखावज बाजै, अणहद की झणकार रे बिन सुर राग छतीसूँ गावै, रोम-रोम रणकार रे सील संतोष की केसर घोली, प्रेम प्रीति पिचकार रे उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे घट के सब पट खोल दिये हैं, लोक लाज सब […]
Mukhada Ni Maya Lagi Re
मोहन का सौंदर्य (गुजराती) मुखड़ानी माया लागी रे, मोहन प्यारा मुखड़ूँ मैं जोयुँ तारूँ, सब जग थयुँ खारूँ, मन मारूँ रह्युँ न्यारूँ रे संसारी, नुँ सुख एवुँ, झाँझवाना नीर जेवुँ, तेने तुच्छ करी फरिये रे ‘मीराँबाई’ बलिहारी, आशा मने एक तारी, हवे हुँ तो बड़भागी रे