वृद्ध अवस्था
ममता तू न गई मेरे मन तें
पाके केस जनम के साथी, लाज गई लोकन तें
तन थाके कर कंपन लागे, ज्योति गई नैनन तें
श्रवण वचन न सुनत काहू के, बल गये सब इन्द्रिन तें
टूटे दाँत वचन नहिं आवत, सोभा गई मुखन तें
भाई बंधु सब परम पियारे, नारि निकारत घर तें
‘तुलसिदास’ बलि जाऊँ चरनते, लोभ पराये धन तें