हनुमान आश्रय
जाकी गति है हनुमान की
ताकी पैज पूजि आई, यह रेखा कुलिस पषान की
अघटि-घटन, सुघटन-विघटन, ऐसी विरुदावलि नहिं आन की
सुमिरत संकट सोच-विमोचन, मूरति मोद-निधान की
तापर सानुकूल गिरिजा, शिव, राम, लखन अरु जानकी
‘तुलसी’ कपि की कृपा-विलोकनि, खानि सकल कल्यान की
In the second last line, kindly write the name of Shree Lakshamaji before Shree Ramji as no one can be placed between the names of Shree Ramji and Mata Sita.
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Good Luck !!!
नमोस्तु रामाय च लक्ष्मनाय देव्यै च तस्य जनकात्मजा
यहां भी लक्ष्मण जी बीच मे आये अब बताइये देवी ग्रन्थ बदलवा देउ?