सत्यं शिवं सुन्दरम्
सत्यं शिवं सुन्दरम् ही तो श्री हरि का रूप है
सुख शांति का यह सार है, अकल्पनीय अनूप है
जीवन मे सत्य विचार हो, व्यवहार वाणी शुद्ध हो
उत्तम यही तो मार्ग है अन्तःकरण भी शुद्ध हो
शिव-भाव से तात्पर्य है, कल्याणमय जीवन रहे
सारे अमंगल दूर हों, मालिन्य को न जरा गहे
कण कण में प्रभु ही व्याप्त है, सौन्दर्य की सीमा नहीं
सुन्दर ही सारी सृष्टि है, सब शास्त्र वेद कहें यही
हम सत्य का अर्चन करें, उत्कृष्ट ये ही धर्म है
सुख शांति हेतु प्रयास ही, सबसे बड़ा सत्कर्म है