मथुरा गमन
श्याम सुन्दर मथुरा जायें
क्रूर बने अक्रूर, प्राणधन को लेने आये
बिलख रही है राधारानी, धैर्य बँधाये कोई
आने लगीं याद क्रीड़ाएँ, सुध-बुध सबने खोई
प्यारी चितवन, मुख मण्डल को, देख गोपियाँ जीतीं
संभावित मोहन वियोग से, कैसी उन पर बीती
चित्त चुराया नेह लगाया, वही बिछुड़ जब जाये
वाम विधाता हुआ सभी नर-नारी अश्रु बहाये
चतुर नारियाँ मथुरा की हैं ‘श्याम न मत फँस जाना’
‘हम तो भोली-भाली ग्वालिन, कहीं भूल मत जाना’