शिवाशिव महिमा
शिवा शिव बने राधिका श्याम
एक बार कैलाश धाम में, शंकर दुर्गा संग
करने लगे विहार वहाँ पर, अतिशय अद्भुत ढंग
रूप मनोहर अति देवी का, मुग्ध हुए शिवशंकर
लगे सोचने नारी को यह, रूप मिला अति सुन्दर
शिव बोले मैं बनूँ राधिका, तुम नँदनंदन प्यारी
बने प्रभु वृषभानुनंदिनी, दक्षसुता गिरिधारी
देव देवियों ने भी तत्पर, लिया वहाँ अवतार
राधा कृष्ण रूप देवी शिव, हरे धरा का भार
यह प्रसंग ‘देवी-पुराण’ का, पढ़े सुने चित लाय
धुले सर्वथा मैल हृदय का, भक्तों के मन भाय