श्रीकृष्ण से प्रीति
मैंनें मेंहदी रचाई कृष्ण नाम की,
मैंने बिंदिया सजाई कृष्ण नाम की
मेरी चूड़ियों में कृष्ण, मेरी चुनरी में कृष्ण,
मैंने नथनी घढ़ाई कृष्ण नाम की
मेरे नयनों में गोकुल, वृंदावन,
मेरे प्राणों में मोहन मन-भावन
मेरे होठों पे कृष्ण, मेरे हृदय में कृष्ण,
मैंने ज्योति जगाई कृष्ण नाम की
अब छाया है कृष्ण मेरे अंग-अंग में,
मेरा तन-मन रंगा है श्री कृष्ण रंग में
मेरा प्रीतम है कृष्ण, मेरा जीवन है कृष्ण
मैंने माला बनाई कृष्ण नाम की