पुरुषार्थ
मूल्यवान यह सीख जो माने, भाग्यवान् वह व्यक्ति है
सत्कर्म करो बैठे न रहो, भगवद्गीता की उक्ति है
यह सृष्टि काल के वश में है, जो रुके नहीं चलती ही रहे
प्रमाद न हो गतिशील रहे, जीवन में जो भी समृद्धि चहे
सन्मार्ग चुनो शुभ कार्य करो, उत्तम जीवन का मर्म यही
जो यत्नशील रहता मनुष्य, प्रभु की सहाय का पात्र वही
निष्क्रियता तो मृत्यु सचमुच, रोगों से तब हम घिर जातें
जो सक्रिय हो, रहता प्रसन्न, उन्नतिशील वे ही होते