भाग्यानुसार फल
भाग्यानुसार फल प्राप्त हमें
भगवान् नियामक कर्मों के, जैसा बोया हो मिले हमें
विवेक प्रभु से प्राप्त हमें, हम चाहें जैसा वही करें
ये अहंकार व काम क्रोध, जो पाप कर्म में प्रवृत करें
प्रभु में तो विषमता जरा नहीं, हम कर्मों का ही फल पायें
वे तो कर्मों को देख रहे, शुभ कर्मों का ही फल पायें
बस ज्ञान भक्ति के द्वारा ही, कर्मों के फल को जला सकें
शरणागत हो जाये प्रभु को, भवभार तभी हम मिटा सकें