भक्त के भगवान
भरोसो बस तेरो गिरिधारि
मघवा प्रेरित घनी वृष्टि से, ब्रज को लियो उबारी
अम्बरीष, प्रहलाद, विभीषण, ध्रुव के प्रभु रखवारी
पार्थ-सारथी, पाण्डुवंश की, घोर विपत्ति निवारी
शर-शय्या पे गंगा-सुत को दर्शन दियो मुरारी
गज को ग्राह ग्रस्यो जल भीतर, कष्ट हर्यो बनवारी
नहीं दीखती किरण आस की, घिरी रात अँधियारी
श्याम पतित के बंधन काटो, चक्र-सुदर्शन-धारी