बालकृष्ण चरित्र
बज रही श्याम-पग-पैंजनियाँ
चलना सिखावे अँगुली पकड़ के, स्वर मीठो री रुनझुनियाँ
पुलकित मन में नन्द जसोदा, नाच नचाये लाला को
ठुमक-ठुमक जब चले कान्ह री, हर्षाये सब के मन को
गायें गीत बजायें ताली, गोपी जन तन्मय होए
माया जिनकी नाच नचाये, बालनृत्य में वे खोए