होली
वंशी-वट जमुना के तट पर, श्याम राधिका खेले होरी
ग्वाल-बाल संग में गिरिधारी, सज आई बृजभानु दुलारी
संग लिये ब्रजवाल, खेल रहे होरी
पिचकारी भर रंग चलावैं, भर भर मूठ गुलाल उड़ावैं
धरा गगन भये लाल, खेल रहे होरी
केसर कुंकुम और अरगजा, मलै परस्पर श्याम भानुजा
बाढ्यो प्रेम विशाल, खेल रहे होरी
लाल प्रिया दोउ खेले होरी, सखियाँ फगुवा ले भर झोरी
हो गये सभी निहाल, खेल रहे होरी