श्रीकृष्ण स्मरण
प्रीतम हमारो प्यारो श्याम गिरधारी है
मोहन अनाथ-नाथ, संतन के डोले साथ
वेद गुण गावे गाथ, गोकुल विहारी है
कमल बिसाल नैन, निपट रसीले बैन
श्याम को ही रूप वृषभानु की दुलारी है
केशव दया-निधान, वाही सो हमारो ध्यान
तन-मन पे वारूँ प्रान, जीवन मुरारी है
मिरूँ मैं साँझ-भोर, बार-बार हाथ जोर
कहत ‘प्रतापकौर’ शोभा मनहारी है