आत्म चिन्तन
प्रातः संध्या नित मनन करें
मैं अंश ही हूँ परमात्मा का, सच्चिदानन्द मैं भी तो हूँ
मैं राग द्वेष में लिप्त न हूँ, मैं अजर अमर आनन्दमय हूँ
सुख-दुख में समता रहे भाव, मैं निर्मल हूँ अविनाशी हूँ
इन्द्रिय-विषयों से दूर नित्य, मैं शुद्ध बुद्ध अरु शाश्वत हूँ