कर्मठता
प्रभु ने हमको मनुज बनाया
प्रभु का नाम हृदय में रख कर, कर्म करो तन मन से प्यारे
निश्चित ही फल प्राप्त करोगे, कभी नहीं हिम्मत को हारें
आलस या प्रमाद में खोयें, कभी नहीं अनमोल समय को
बीत गया, कल लौट न आये, नहीं दोष दो व्यर्थ भाग्य को
करे सदा सत्कर्म व्यक्ति जो, फल छोड़े भगवान भरोसे
वह तो अनुकूल फल पाये, दूजा देख भाग्य को कोसे
इधर उधर बातों में जीवन, मूर्ख मनुज वह जो भी खोता
अकर्मण्य ऐसा व्यक्ति ही, जो कि भाग्य को प्रायः रोता