मर्यादा
नैतिक आचार हो जीवन में
सम्माननीय वह व्यक्ति जो मर्यादित जीवन ही जीये
सार्थक जीना तो उसका ही परहित के जिसने कार्य किये
हमको शरीर जो प्राप्त हुआ, वरदान प्रभु से मिला यही
पालन हो सत्य अहिंसा का, हरि नाम स्मरण आवश्यक ही
जहाँ प्राणिमात्र प्रति प्रेम रहे, है धन्य धन्य व्यक्ति ऐसा
भोगों में जो धन खर्च करे, जीवन उसका तो पशु जैसा
ये नाशवान संपत्ति वैभव, मोहासक्ति में फँसे नहीं
मन का निग्रह भी अनिवार्य, इन्द्रिय-सुख में फँस जाय कहीं