प्रबोधन
निश्चिंत हुए बैठे न रहो
शाश्वत जीवन यहाँ किसका है, पैदा होए वे मरते भी
दिन कभी एक से नहीं रहे, इसका विचार तुम करो अभी
जब जन्म दिवस आता है तो, खुशियाँ सब लोग मनाते हैं
कम वर्ष हो गये जीवन के, समझे जो नहीं पछताते हैं
प्रबोधन
निश्चिंत हुए बैठे न रहो
शाश्वत जीवन यहाँ किसका है, पैदा होए वे मरते भी
दिन कभी एक से नहीं रहे, इसका विचार तुम करो अभी
जब जन्म दिवस आता है तो, खुशियाँ सब लोग मनाते हैं
कम वर्ष हो गये जीवन के, समझे जो नहीं पछताते हैं