केवट का मनोभाव
नाव से कर दो गंगा पार
भाग्यवान् मैं हूँ निषाद प्रभु लेऊ चरण पखार
जब प्रभु देने लगे मुद्रिका जो केवट का नेग
बोला केवट प्रभु दोनों की जाति ही भी तो एक
चरण कमल के आश्रित हूँ प्रभु करो न लोकाचार
भवसागर के आप हो केवट करना मुझको पार
केवट का मनोभाव
नाव से कर दो गंगा पार
भाग्यवान् मैं हूँ निषाद प्रभु लेऊ चरण पखार
जब प्रभु देने लगे मुद्रिका जो केवट का नेग
बोला केवट प्रभु दोनों की जाति ही भी तो एक
चरण कमल के आश्रित हूँ प्रभु करो न लोकाचार
भवसागर के आप हो केवट करना मुझको पार