वर्तमान
जो करना हो कर लो आज ही
अनुकूल समय का मत सोचो, मृत्यु का कुछ भी पता नहीं
चाहे भजन ध्यान या धर्म कार्य, इनमें विलम्ब हम नहीं करें
सत्कार्य जो सोचा हो मन में, कार्यान्वित वह तत्काल करे
वैभव नहिं शाश्वत, तन अनित्य, शुभ कर्मों में मन लगा रहे
कल करना हो वह आज करे, संभव शरीर कल नहीं रहे