वंदनावन-महिमा
जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो
निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो
स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो
कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो
‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो
वंदनावन-महिमा
जाको मन वृन्दा विपिन हर्यो
निरिख निकुंज पुंज-छवि राधे, कृष्ण नाम उर धर्यो
स्यामा स्याम स्वरूप सरोवर, परी जगत् बिसर्यो
कोटि कोटि रति काम लजावै, गोपियन चित्त हर्यो
‘श्रीभट’ राधे रसिकराय तिन्ह, सर्वस दै निबर्यो