देवी स्तवन
जय भुवनेश्वरि जय नारायणि संतति की रक्षा करती हो
अज्ञान, अहं को हरती हो, सुख वैभव हमको देती हो
जैसे प्रभात की सूर्य किरण, वैसी श्री अंगों की शोभा
मुसकान अधर पर छाई है, रत्नाभूषण की अमित प्रभा
आये जो शरण दीन पीड़ित उसकी रक्षा माँ ही करती
हे सनातनी हे कात्यायिनि, सेवक के कष्ट सदा हरती
वरदायिनि, सर्वेश्वरि मैया, आसक्ति अविद्या आप हरो
माँ दुर्गुण सारे दूर करो, सद्गुण व शांति प्रदान करो