श्रीमद् भागवत
श्रीमद् भागवत महिमा अपार
नित नवण करे श्रद्धा पूर्वक, भवसागर से हो जाय पार
यद्यपि पुराण अठ्ठारह हैं, स्थान उच्च पर भागवत् का
श्रीकृष्ण-कथा पावन इसमें, वाङमय स्वरूप राधावर का
भगवदीय तत्व का मना सुलभ, होता हमको इसके द्वारा
यह महा-पुराण, हम सुने कहे श्रीकृष्ण-चरित इसमें सारा
सब उपनिषदों का सार यही, आत्मा ब्रह्म है एक रूप
आननद अलौकि मिले यहाँ, अवतारों की गाथा अनूप