राधा कृष्ण
चलो मन श्री वृन्दावन धाम
किसी कुंज या यमुना-तट पे, मिल जायेंगे श्याम
सुन्दर छबिमय मोर-मुकुट में, सातो रंग ललाम
वही सुनहरे पीत-वसन में, शोभित शोभा-धाम
वनमाला के सुमन सुमन में, सुलभ शुद्ध अनुराग
और बाँसुरी की सुर-धुन में, राधा का बस राग
सुन्दरियों संग रास रमण में, प्रेम ज्योति अभिराम
राधा दीखे नँद-नन्दन में, राधा में घनश्याम