गंगा माहात्म्य
गंगा जल पाप बहा देता
उसका जो सेवन नित्य करे, वह मन शांति को पा लेता
गंगाजी का तो दर्शन भी, मन को निश्चित निर्मल करता
जलरूप यही तो वासुदेव, सच्चा सुख जिनसे मिल जाता
जिसके मन में यह भाव जगे, संभव नित गंगा-स्नान करे
गंगा का सेवन सुमिरन हो, पातक उसके नितांत जरे