रसिया
खातिर कर ले नई गुजरिया, रसिया ठाड़ो तेरे द्वार
ठाड़ौ तेरे द्वार रसिया, ठाड़ौ तेरे द्वार
ये रसिया तेरे नित नहिं आवै, प्रेम होय तो दर्शन पावै,
अधरामृत को भोग लगावै, कर मेहमानी अब मत चूके समय न बारम्बार
हिरदे की चौकी कर हेली, नेह को चंदन लगा नवेली,
दीक्षा ले बनि जैयो चेली, पुतरिन पलँग बिछाय, पलक की करले बंद किंवार
जो कछु रसिया कहै सो करियो, सास ननद को डर परिहरियो,
सौलह कर बत्तीस पहरियो, दे दे दाम सूम की सम्पद, जीवन है दिन चार
सब ते तोड़ नेह की डोरी, जमना पार उतर चल गोरी,
निडर खेली कहियो होरी, श्याम रंग चढ़ जाये जा दिन, हो जाय बेड़ा पार