नाम-जप
कुछ भी न साथ में जायेगा, अंतिम क्षण है अब दूर नहीं
ऐसे ही जीवन बीत गया, बस तेरी मेरी करके ही
शायद कुछ दिन हो अभी शेष, प्रभु क्षमा करो जो भूल हुई
जप सकूँ तुम्हारा नाम प्रभो, जो बीत गई सो बीत गई
मैं पड़ा तुम्हारे चरणों में, कहलाते तुम करुणा-सागर
हो कृपा तुम्हारा ध्यान धरूँ, हे भवभयहारी नटनागर