प्रतीक्षा
कब आओगे कृष्ण मुरारे, आस में बैठी पंथ निहारूँ
सूरज डूबा साँझ भी आई, दर पे खड़ी हूँ आस लगाये
रात हुई और तारे निकले, कब आओगे कृष्ण मुरारे
आधी रात सुनसान गली है, मैं हूँ अकेली गगन में तारे
जागा सूरज सोए तारे, कब आओगे कृष्ण मुरारे
भोर भई जग सारा जागा, हुआ प्रकाश अँधेरा भागा
देर करो मत मोहन प्यारे, कब आओगे कृष्ण मुरारे