राम भरोसा
एक राम भरोसा ही कलि में
वर्णाश्रम धर्म न दिखे कहीं, सुख ही छाया सबके मन में
दृढ़ इच्छा विषय भोग की ने, कर्म, भक्ति, ज्ञान को नष्ट किया
वचनों में ही वैराग्य बचा और वेष ने सबको लूट लिया
सच्चे मन से जो जीवन में, रामाश्रित कोई हो पाये
भगवान अनुग्रह से निश्चय, भवसागर पार उतर जाये