श्रीकृष्ण प्राकट्य
अवतरित हुए भगवान कृष्ण, पृथ्वी पर मंगल छाया है
बज गई स्वर्ग की दुन्दुभियाँ,चहुँ दिशि आनन्द समाया है
था गदा, चक्र अरु कमल, शंख, हाथों में शोभित बालक के
श्रीवत्स चिन्ह वक्षःस्थल पे, कटि में भी पीताम्बर झलके
वसुदेव देवकी समझ गये, यह परमपुरुष पुरुषोत्तम है
जो पुत्र रूप में प्राप्त हुआ, साक्षात् वही विश्वात्मा है
होकर प्रसन्न दोनों ही ने, तब हाथ जोड़ स्तवन किया
तभी योगमाया से हरि ने, औसत शिशु का रूप लिया
बालक की तब रक्षा करने, वसुदेव ले गये गोकुल को
उस समय यशोदा मैया ने, वहाँ जन्म दिया था कन्या को
वसुदेव ने उसको उठा लिया, वहीं बालकृष्ण को सुला दिया
कन्या को ले मथुरा लौटे, देवकी-शैया पर लिटा दिया