रथ-यात्रा
अरी सखि रथ बैठे गिरिधारी
राजत परम मनोहर सब अँग, संग राधिका प्यारी
मणि माणिक हीरा कुन्दन से, डाँडी चार सँवारी
अति सुन्दर रथ रच्यो विधाता, चमक दमक भी भारी
हंस गति से चलत अश्व है, उपजत है छबि न्यारी
विहरत वृन्दावन बीथिन में, ‘परमानन्द’ बलिहारी