बालकृष्ण बंधन
अब निठुराई तजो ब्रजरानी
ऐसो लाल बाँधवे लायक, द्युति आनन कुम्हलानी
भाग बड़े विधि दयो एक सुत, पूजत शंभु-भवानी
ताको उदर दाम ते बाँध्यो, करुणा कितै गँवानी
नित नवनीत खात हरि हमरो, गोपीन की मनभानी
मात जसोदा जरा न मानी, गोप-वधुन की बानी
बाँध दियो जब बाल-कृष्ण को, फिर मन में पछतानी