हरि स्मरण
पहचान ले प्रभु को, घट-घट में वास जिनका
तू याद कर ले उनको, कण कण में भी वही है
जिसने तुझे बनाया, संसार है दिखाया
चौदह भुवन में सत्ता, उनकी समा रही है
विषयों की छोड़ आशा, सब व्यर्थ का तमाशा
दिन चार का दिलासा, माया फँसा रही है
दुनियाँ से दिल हटा ले, ईश्वर का ध्यान कर ले
‘ब्रह्मानंद’ देह नश्वर, कल का पता नहीं है