मुरली का जादू
आज सखी श्याम सुंदर बाँसुरी बजाये
मोर-मुकुट तिलक भाल, पग में नूपुर सुहाये
बिम्बाधर मुरलीधर, मधुर धुन सुनाये
यमुना को रुकत नीर, पक्षीगण मौन भये
धेनू मुख घास डार, धुनि में मन लाये
त्रिभुवन में गूँज उठी, मुरली की मधुर तान
समाधि भी गई टूट, योगी मन भाये
बंशी-स्वर सुन अपार, भूले मुनि मन विचार
‘ब्रह्मानंद’ गोपीजन, तन सुधि बिसराये