पुष्प सज्जा
मन मोहक सब साज सज्यो री
फूलमयी यह जुगल जोति लखि, सखियन को मन फूल रह्यो री
फूलन के ही मुकुट चन्द्रिका, फूलन ही को पाग फल्यौ री
फूलन के ही गजरा कुण्डल, फूलन को ही हार सज्यौ री
फूलन के ही कंकण कचुँकि, फूलन को भुजबन्ध बन्धौ री
फूलन के ही नूपुर पग में, बिछिया फूलनदार रच्यौ री
फूलन से ही मढ़ी मुरलिया, फूलन को कटिबन्ध बँध्यौ री
निरखि निरखि राधा मोहन छवि, तन मन मेरो फूलि रह्यौ री