श्री वृन्दावन धाम
धनि धनि वृन्दावन वर धाम
भौतिकता तो नहीं जरा भी, जग प्रपंच को नहिं कछु काम
श्यामा श्याम केलि थल अनुपम, नित नूतन क्रीड़ा अभिराम
लाड़ लड़ावति लली लालकूँ, राग भोग तजि और न काम
पालन सृजन प्रलय देवन को, काम करें अज हरि हर नाम
नित्य किशोर किशोरी संग में, रचै रास नहिं छन विश्राम