गंगा महिमा
गंगा गंगा कहें नित्य गंगा जल पीवैं
सदा बसै तट निकट, गंग- जल हीतें जीवैं
गंगारज तन लाइ, नहावैं गंगा जल महँ
बसैं गंगपथ परसि अनिल, बिहरैं जिहिं थल महँ
श्री गंगा के नाम तें, कोटि जनम पातक नसहिं
भोगे भू पै भोग बहु, अन्त जाहि सुरपुर बसहिं
गंगा महिमा
गंगा गंगा कहें नित्य गंगा जल पीवैं
सदा बसै तट निकट, गंग- जल हीतें जीवैं
गंगारज तन लाइ, नहावैं गंगा जल महँ
बसैं गंगपथ परसि अनिल, बिहरैं जिहिं थल महँ
श्री गंगा के नाम तें, कोटि जनम पातक नसहिं
भोगे भू पै भोग बहु, अन्त जाहि सुरपुर बसहिं