राम आसरा
राम नाम के बिना जगत में, कोई नहीं भाई
महल बनाओ बाग लगाओ, वेष हो जैसे छैला
इस पिजड़े से प्राण निकल गये, रह गया चाम अकेला
तीन मस तक तिरिया रोवे, छठे मास तक भाई
जनम जनम तो माता रोवे, कर गयो आस पराई
पाँच पचास बराती आये, ले चल ले चल होई
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधो, यह गति तेरी होई