श्याम की पाती
मनमोहन श्याम हमारा
निर्मल नीरा जमुन को त्याग्यौ, जाय पियौ जल खारा
आप तो जाय द्वारका छाए, हमें छाँड़ि माझ धारा
लिखि लिखि पाती भेजुँ स्याम कूँ, बाँचौ प्रीतम प्यारा
‘मीराँ’ के प्रभु हरि अविनासी, जीवन प्राण आधारा
श्याम की पाती
मनमोहन श्याम हमारा
निर्मल नीरा जमुन को त्याग्यौ, जाय पियौ जल खारा
आप तो जाय द्वारका छाए, हमें छाँड़ि माझ धारा
लिखि लिखि पाती भेजुँ स्याम कूँ, बाँचौ प्रीतम प्यारा
‘मीराँ’ के प्रभु हरि अविनासी, जीवन प्राण आधारा