विरह व्यथा
पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस
ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस
तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस
अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस
‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस
विरह व्यथा
पिया बिन सूनो छे जी म्हारो देस
ऐसो है कोई पिवकूँ मिलावै, तन मन करूँ सब पेस
तुम्हरे कारण बन बन डोलूँ, कर जोगण रो भेस
अवधि बीती अजहूँ न आये, पंडर हो गया केस
‘मीराँ’ के प्रभु कब रे मिलोगे, तज दियो नगर नरेस