विरह व्यथा
पिया बिन रह्यो न जाय
तन-मन मेरो पिया पर वारूँ, बार-बार बलि जाय
निस दिन जोऊँ बाट पिया की, कब रे मिलोगे आय
‘मीराँ’ को प्रभु आस तुम्हारी, लीज्यो कण्ठ लगाय
विरह व्यथा
पिया बिन रह्यो न जाय
तन-मन मेरो पिया पर वारूँ, बार-बार बलि जाय
निस दिन जोऊँ बाट पिया की, कब रे मिलोगे आय
‘मीराँ’ को प्रभु आस तुम्हारी, लीज्यो कण्ठ लगाय