अटूट प्रीति
जो तुम तोड़ो पिया, मैं नाहीं तोड़ूँ
तोरी प्रीत तोड़ के मोहन, कौन संग जोड़ूँ
तुम भये तरुवर मैं भई पँखियाँ, तुम भये सरवर मैं भई मछियाँ
तुम भये गिरिवर मैं भई चारा, तुम भये चन्दा, मैं भई चकोरा
तुम भये मोती प्रभु, मैं भई धागा, तुम भये सोना, मैं भई सुहागा
‘मीराँ’ कहे प्रभु ब्रज के बासी, तुम मोरे ठाकुर, मैं तोरी दासी