गिरिराज धरण
स्याम लियो गिरिराज उठाई
धीर धरो हरि कहत सबनि सौं, गिरि गोवर्धन करत सहाई
नंद गोप ग्वालिनि के आगे, देव कह्यो यह प्रगट सुनाई
काहै कौ व्याकुल भै डोलत, रच्छा करत देवता आई
सत्य वचन गिरिदेव कहत हैं, कान्ह लेहिं मोहिं कर उचकाई
‘सूरदास’ नारी नर ब्रज के, कहत धन्य तुम कुँवर कन्हाई